रिश्तों में छोटी मोटी नोंक झोंक होना तो आम बात है। यह अटल है। लेकिन इस नोंक झोंक को कितना खींचना है यह हम पर निर्भर करता है। उससे क्या उत्पन्न होगा यह हमें तय करना है। बनी बात बिगड़ जा सकती और बिगड़ी बात बन सकती है, करना क्या है यह हमपर निर्भर करता है। क्योंकि एक बात सच है कि इन्हीं नोंक झोंक से रिश्ते बिखर सकते या और मजबूत हो सकते है!
