आसमाँ यह नीला,
घना जंगल है हरा,
सदा बहती नदियाँ,
ताजी है हवा।
चेहरे पर है मुस्कान,
मन को मिला है आराम,
यह जंग नहीं थी आसान,
न जाने किस-किस का है बलिदान!
अंग्रेजों के उड़ाके होश,
किया उन्हें ख़ामोश,
नया है यह जोश,
दिल से बन गए सरफ़रोश!
यह उजियाला है ख़ास,
है उसमें आज़ादी की मिठास,
ग़ुलामी का हुआ है विनाश,
इस बात का है एहसास।
बटवारा होने का खेद है,
कई परिवार बिछड़ गए है,
स्वतंत्रता का यह शाप लगता है,
धर्म का यह खेल बहुत ख़राब है!
सन् उन्नीस सौ सैंतालीस,
आगस्त का है मासिक,
पन्द्रह तारीख़,
बन गया ऐतिहासिक!
इतिहास रच दिया,
खून-पसीना बहा लिया,
अनेकों ने बलिदान दिया,
और स्वतंत्र कमा लिया।
ऐसी भावना होगी,
उस दिन हर भारतवासी की,
नई ऊर्जा आई होगी,
गर्व की भावना जागी होगी!
उन यादों को ताज़ा किए,
देश को तरक़्क़ी के ओर ले जाए,
जय हिन्द की नारे गर्व से लगाए,
घर घर तिरंगा लहराए 🇮🇳!!
