पल पल हर पल,
बस यही ख़याल आता है,
जो भी करूँ वह तुम्हारी सोचकर,
क्योंकि तुम्हें अच्छा लगता है।
संयम मुझमें बहुत है,
लेकिन संतुष्टि है नहीं,
जो भी करूँ वह तुम्हारी सोचकर,
मेरी नियत में खोट नहीं।
तुम्हें किसी बात की कमी ना पड़े,
यह ज़िम्मेदारी है मेरी,
जो भी करूँ वह तुम्हारी सोचकर,
ऐसा मेरा प्रयास है जारी।
तुम्हारा रूठ जाना,
करता है मुझे बैचेन,
जो भी करूँ वह तुम्हारी सोचकर,
क्योंकि तुम ही हो मेरे सुख और चैन।
एक दुआ मैं हमेशा करूँ,
दुख से तुम दूर ही रहो,
जो भी करूँ वह तुम्हारी सोचकर,
क्योंकि तुम,
हँसते हुए अच्छे लगते हो!
