कही बार ऐसा होता है,
उजाला कुछ ऐसा दिखा देता है,
जिससे बनती बात बिगड़ जाती है,
तब अंधेरा अच्छा लगता है!
कई ऐसे काम है,
जो उजाले में नहीं कर सकते है,
मन बेबस हो जाता है,
तब अंधेरा अच्छा लगता है!
सच कड़वा होता है,
उसे स्वीकार करना मुश्किल होता है,
जब ऐसी स्तिथि आती है,
तब अंधेरा अच्छा लगता है!
जो जैसा दिखता है,
वह उजाले की देन है,
लेकिन जब अनदेखी देखनी होती है,
तब अंधेरा अच्छा लगता है!
जब मन कमजोर हो जाता है,
मनोबल टूट जाता है,
अकेलापन गले लगाता है,
तब अंधेरा अच्छा लगता है!
