फूलों जैसा जीवन है,
शुरुवात एक बीज से होती है,
पालन पोषण तो कुदरत करता है,
फिर एक डाली पर कली आती है,
जो हमें इस काबिल बनाती है,
की हम तितलियोंको आकर्षित कर पाते है,
फिर हमारे सुगंध से वातावरण सुगंधित होता है,
जिस वजह से हमारा पौधोंसे रिश्ता टूट जाता है,
और हम कोई भावना जताने का माध्यम बन जाते है,
फिर कभी कोई याद बनाकर हमें कही रखते है,
यार फिर मुरझाकर हमारा अंत होता है!
